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राजा नहीं फकीर था | उड़ान भरी तो इतनी दूर |ख्वाब सच्चे नहीं होते| युवा राजनीति स्टेटस |

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राजा नहीं फकीर था , देश की प्रगती की तकदीर था |

  

चमक रहा हूँ जो सूरज का की तरह तो सब हैरान हैं क्यों? मेरी कामयाबी से सब इतना परेशान हैं क्यों? हर रात टकराया हूँ मैं इक नई मुसीबत से नई सुबह के लिए सबको दिखा हुनर मेरा लेकिन किसी ने न पूछा की ये जख्मों के निशान हैं क्यों?

  

उड़ान भरी तो इतनी दूर निकल आया मैं, न जाने इस उड़ान का अंजाम क्या होगा?

  

घिर चुका था जब मुसीबतों के बीच हौसला बढाया तो रुकावटों की ईमारत हिल ही गयी, बहुत दूर नजर आ रही थी जो एक-एक कदम बढाया तो आज मंजिल मिल ही गयी।

  

कौन कहता है कि बुने हुए ख्वाब सच्चे नहीं होते, मंजिलें उन्हीं को नहीं मिलती जिनके इरादे अच्छे नहीं होते, रूखी-सूखी रोटी और धक्के तो बहुत खाए हैं जिंदगी में लेकिन आज देख रहा हूँ कि सफलता के फल कभी कच्चे नहीं होते।

  

हर इंसान में होते है दस बीस इंसान जिस को भी देखना हो कई बार देखना |

  

पसीना ही मेरी पहचान है, श्रम का पुजारी हूँ खेतों का श्रमिक, मिट्टी की सौंधी सी खुमारी हूँ बहुत ही धैर्य से सबके हृरदय तक यात्रा करके बना पर, आज भी भारी हूँ।

  

बहती धारा के साथ बहो किनारा छोड़ दो रखो यकीं खुद पे दुनियाँ का सहारा छोड़ दो |

  

मुश्किलें तेरे आत्मविश्वास को आजमाती हैं, स्वप्न के पर्दे निगाहों से हटाती हैं, हौसला मत हार गिर कर ऐ मेरे दोस्त, ठोकरें ही इंसान को चलना सिखाती हैं.

  

मंज़िलें नहीं रास्ते बदलते है जगा लो जज्बा जीतने का किस्मत कि लकीरें चाहे बदले न बदले वक़्त जरूर बदलता है।

  

नए किरदार आते जा रहे हैं मगर नाटक पुराना चल रहा है।

  

गिरा रही थी जिंदगी मुझे बार-बार अलग- अलग ठोकरों से, बर्ताव कर रहा हो जैसे कोई मालिक अपने नौकरों से, हिम्मत और हौसले को मैंने फिर भी अपनी बैसाखियाँ बनायीं पहुँच गया सफलता की मंजिल पे

  

बदल जाओ वक्त के साथ या फिर वक्त बदलना सीखो, मजबूरियों को मत कोसो हर हाल में चलना सीखो |

  

किस्मत तेरी दासी हैं यदि परिश्रम तेरा सच्चा हैं, नियत भी साथ देगी और जीत भी तेरी पक्का हैं.

  

ना पूछो के मंजिल का पता क्या है, अभी बस सफर है सफर का आनंदलेने दो...

  

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