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बारिश की कहानियाँ: शायरों के अल्फाज़ में सैलाब और बाढ़ का मनोबल | rainy season quotes in Hindi | Hindi shayari on rain and floods |

Introduction:

बारिश से मन का रिश्ता बहुत गहरा होता है। यह मौसम हमारे मन और दिल को छू लेता है। लेकिन कभी-कभी, बरसात की शिद्दत बढ़ जाती है और वही बरसात बाढ़ की स्थिति में परिवर्तित हो जाती है। आइए, हम आपको लाएं हैं 'बारिश' पर शायरों की कुछ अनमोल बातें, जो हमारे दिल के कई रोमांचक और गहरे तरीके से छू जाती हैं।


1. "कच्चे मकान जितने थे बारिश में बह गए।"

   - अख़्तर होशियारपुरी

कच्चे मकान जितने थे बारिश में बह गए
कच्चे मकान जितने थे बारिश में बह गए


   इस शेर में शायर ने बारिश के प्राकृतिक प्रकोप को और भी गंभीरता से प्रस्तुत किया है। यह दिखाता है कि बरसात का असर किसी के जीवन पर कितना भारी पड़ सकता है।


2. "पानी की तहरीरों को पढ़ लेना, हर इक दरिया हज़ारों सालो  का अफ़साना लिखता है।"

   - बशीर बद्र

पानी की तहरीरों को पढ़ लेना
पानी की तहरीरों को पढ़ लेना


   यह शेर हमें यह सिखाता है कि हमें गुजरे हुए समय की कहानियों को समझना चाहिए, क्योंकि वे हमारी सभी कथाओं का हिस्सा होती हैं।


3. "वो जो प्यासा लगता था सैलाब-ज़दा था, पानी पानी कहते कहते डूब गया है।"

   - आनिस मुईन

पानी की तहरीरों को पढ़ लेना



   इस शेर में हमें सैलाब की तगड़ी ताक़त को प्रस्तुत किया गया है, जिसमें एक व्यक्ति की प्यास और विश्वास दोनों बराबरी होती हैं।


4. "बस्तियों को बे-निशाँ होना ही था, अब के बारिश में तो ये कार-ए-ज़ियाँ होना ही था, अपनी कच्ची बस्तियों को बे-निशाँ होना ही था।"

   - मोहसिन नक़वी

पानी की तहरीरों को पढ़ लेना
पानी की तहरीरों को पढ़ लेना


   इस शेर में समुद्र की गहराइयों में छिपे जीवन के बदलाव को दर्शाया गया है, जब हर कुछ पुराने से बदल जाता है और नए आरंभ का संकेत मिलता है।


5. "कुछ भी दरिया ने मदद अपने पड़ोसी की न की, दूर तक पानी ही पानी था मगर साहिल जला।"

   - फ़रहत एहसास

कुछ भी दरिया ने मदद अपने पड़ोसी की न की
कुछ भी दरिया ने मदद अपने पड़ोसी की न की



   इस शेर में बरसात के साथ आने वाले विपर्यासों को दिखाया गया है, जब समुद्र के तट पर किनारा नहीं बचता है।


6. "कच्ची दीवारों को पानी की लहर काट गई, पहली बारिश ही ने बरसात की ढाया है मुझे।"

   -जुबैर रिजवी 

कच्ची दीवारों को पानी की लहर काट गई
कच्ची दीवारों को पानी की लहर काट गई



   यह शेर हमें बरसात के पहले ही दिन की भावना को बयान करता है, जब दीवारों की सुरक्षा की कमजोरी और उनकी तोड़ दी जाती है।


7. "तूफ़ान से लड़ने का दम-ख़म है, अगर ऐ नाख़ुदा तूफ़ान से लड़ने का दम-ख़म है, इधर कश्ती न ले आना, यहाँ पानी बहुत कम है।"

   - दिवाकर राही

तूफ़ान से लड़ने का दम-ख़म है
तूफ़ान से लड़ने का दम-ख़म है


   इस शेर में हमें हिम्मत के साथ आपदाओं का सामना करने की महत्वपूर्णता को बताया गया है, और यह भी दिखाया गया है कि कभी-कभी हमें अपनी सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाने पड़ते हैं।


8. "वो मजबूरी मौत है जिस में कासे को बुनियाद मिले, प्यास की शिद्दत जब बढ़ती है डर लगता है पानी से, पहचान गया सैलाब है उस के सीने में अरमानों का, देखा जो सफ़ीने को मेरे जी छूट गया तूफ़ानों का।"

   - जोश मलीहाबादी

वो मजबूरी मौत है जिस में कासे को बुनियाद मिले
वो मजबूरी मौत है जिस में कासे को बुनियाद मिले


   इस शेर में हमें यह याद दिलाया गया है कि जीवन कई बार हमें मजबूरी में डूबने के साथ-साथ नई शुरुआत करने का अवसर भी प्रदान कर सकता है।


Conclusion:

बारिश के अल्फाज़ शायरों के द्वारा हमें बाढ़, सैलाब और बरसात के दृश्यों को गहराई से समझाते हैं, जो हमारे मनोबल को प्रेरित करते हैं और हमें जीवन की मुश्किलों का सामना करने की हिम्मत देते हैं। ये शेर हमारे साथ होते हैं, जब हम अपनी ज़िंदगी के सैलाबों का सामना करते हैं और उनका सामना करते हैं, और वे हमें यह सिखाते हैं कि हम किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं। इन बातों को ध्यान में रखते हुए, हमें आगे बढ़ने का साहस मिलता है और हम जीवन के हर मोड़ पर तैयार रहते हैं।

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